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Basic Accounting Terms
Trade (ब्यापार):- कोई भी कार्य जिसमे वस्तुओ का क्रय-विक्रय (Buy-Sell) लाभ कमाने के उद्देश्य से किया जाता है ब्यापार कहलाता है ।
Profession (पेशा):- कोई भी कार्य जिसमे पूर्व प्रशिक्षण (Pre Training) की आवश्यकता होती है पेशा कहलाता है जैसे – वकील, अध्यापक आदि ।
Business (व्यवसाय ):- ऐसा कोई कार्य जो लाभ प्राप्त करने के लिए किया गया हो व्यवसाय कहलाता है जैसे – बैंक, बीमा आदि ।
Owner (मालिक):- वह व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह, जो व्यपार में आवश्यक पूंजी लगाते हैं व्यपार संचालन करते है व्यपार का जोखिम उठाते है तथा लाभ व हानी के अधिकारी होते है वह व्यपार के Owner कहलाते हैं ।
Capital (पूँजी):- वह धन राशी जो व्यपारी Goods, Cash अथवा Property के रूप में लगाकर प्रारम्भ करता है पूँजी कहलाता हैं।
Drawing (आहरण या निजी ब्यय):- व्यापारी अपने निजी कार्य के लिए Cash या Goods Company से निकालता है आहरण (Drawing) कहलाता हैं ।
Goods (माल):- जिस वस्तु से व्यापारी व्यापार प्रारम्भ करता हैं वह उसका माल कहलाता हैं ।
Purchases (क्रय):- जो माल व्यापारी द्वारा ख़रीदा जाता हैं क्रय कहलाता हैं ।
Purchases Return (क्रय वापसी):- ख़रीदे हुए माल में से जो माल विक्रेता को वापस कर दिया जाता हैं वह क्रय वापसी कहलाती हैं ।
Sales (विक्रय):- जो माल बेचा जाता हैं विक्रय कहलाती हैं ।
Sales Return (विक्रय वापस):- जब विके हुए माल में से कुछ माल वापस आ जाता हैं उसे विक्रय वापसी कहते हैं ।
Proprietor (व्यापार का स्वामी):- वह व्यक्ति जो व्यापार में पूँजी लगाता हैं तथा व्यापार का संचालन करता हैं व्यापार का स्वामी कहलाता हैं ।
Liabilities (दायित्व):- वह सव ऋण जो अन्य व्यक्तियों या अपने स्वामी को चुकाने होते हैं दायित्व कहलाते हैं ये दो प्रकार के होते हैं ।
- Long Term/Fixed Liabilities (स्थायी दायित्व):- ये वह दायित्व हैं जो एक साल के बाद या व्यापार समाप्त करने पर चुकाना होता हैं ।
- Short Term/Current Liabilities (चालू दायित्व):- ये वह दायित्व हैं जो एक साल या कम समय में चुकानी होती हैं ।
Stock (रहतिया):- किसी व्यापार में वर्तमान में जो माल हमारे पास उपलब्ध है वह रहतिया कहलाता हैं साल में अंत में जो माल बिना बीके रह जाता हैं वह अंतिम Stock कहलाता हैं और अगले साल के पहले दिन वही माल प्रारम्भिक Stock कहलाता हैं ।
Creditor (लेनदार):- वह व्यक्ति या संस्था जो किसी अन्य व्यक्ति या संस्था को उधार माल या पैंसा उधार देती हैं ऋणदाता या लेनदार कहलाता हैं ।
Debtor (देनदार):- वह व्यक्ति या संस्था जो किसी अन्य व्यक्ति या संस्था को उधार माल या पैंसा उधार लेता हैं ऋणी या देनदार कहलाता हैं ।
Assets (सम्पति):- व्यापार में समस्त वस्तुए जो संचालन में सहायक होती हैं सम्पति कहलाती हैं ये दो प्रकार के होते हैं ।
- Fixed Assets (अचल या स्थायी सम्पति):– वे वस्तुए जो व्यापार को चलाने के लिए स्थायी रूप से खरीदी जाती हैं स्थायी सम्पति कहालती हैं और जिन्हें बेचने के लिए ख़रीदा जाता हैं जैसे भवन, मोटरगाड़ी, फर्नीचर आदि ।
- Current Assets (चल या अस्थायी सम्पति):- वह सम्पति जो स्थायी रूप से व्यापार में नहीं रहती हैं जैसे रोकड़, बैंक में जमा पैसा, स्टोर आदि ।
Expenses (व्यय):- माल को खरीदने तथा बेचने में जो खर्चे होते है वह व्यय कहलाते हैं, ये दो प्रकार के होते हैं ।
- Direct Expenses (प्रत्यक्ष व्यय):- ये वे खर्चे होते हैं जिन्हें व्यापारी माल खरीदते वक्त करता हैं या माल के उत्पादन में करता हैं अर्थात कच्चे माल पर होने वाला खर्चा प्रत्यक्ष व्यय कहलाता हैं ।
- Indirect Expenses (अप्रत्यक्ष व्यय):- ये वह खर्चे होते है जो वस्तु के क्रय या वस्तु के निर्माण से न होकर, वस्तु की बिक्री या कार्यलय व्यय से होती हैं ।
Revenue (राजस्व):- माल को बेचने पर जो प्राप्ति होती हैं वह राजस्व कहलाता हैं ।
Income (आय):- किसी भी माल को बेचने पर उससे जो राजस्व प्राप्त होता हैं उसमे से जो खर्चे को घटने के बाद जो राशी बचती हैं उसे आय कहते हैं ये दो प्रकार के होते हैं ।
- Direct Income (प्रत्यक्ष):- यह वह आय होती हैं जो मुख्य व्यवसाय से प्राप्त होती हैं ।
- Indirect Income (अप्रत्यक्ष):- यह वह आय होती हैं जो मुख्य व्यवसाय को छोड़ कर होती हैं जैसे किराया, व्याज आदि ।
Discount (बट्टा या छूट):- व्यापारी द्वारा दिए जाने वाली रियायत छूट या बट्टा कहलाती हैं ।
- Trade Discount (व्यापारिक बट्टा):- व्यापारी माल बेचते समय ग्रहक के माल में जो छूट देता हैं वह व्यापरिक बट्टा कहलाता हैं या बिल में कुछ पैसा कम क्र देय हैं ।
- Cash Discount (नगद बट्टा):- जब किसी ग्राहक को कोई माल उधार बेचा जाता है और उसे निस्चित अवधि में पैसा देना वताया जाता है अगर वह अवधि से पहले पैसा जमकर देता है तो उसे जो छूट दी जाती है वह कैस डिस्काउंट कहलाता है ।
Bad Debts (डूबत ऋण):- जब उधार की रकम वापस नहीं मिलती है उसे दूवत ऋण कहते हैं ।
Transaction (लेनदेन):- व्यापार में जिन वस्तुओ का क्रय विक्रय होता हैं उन्हें लेनदेन कहते हैं ।
Voucher (प्रमाणक):- व्पापार सम्बन्धी सभी व्यवहारों के लेनदेन के प्रमाणों के लिए जो डॉक्यूमेंट लिए तथा दिए जाते है प्रमाणक कहलाते हैं ।
Ledger (लेजर):- लेजर एक बुक होता है जिसमें पर्सनल, रियल या नोमिनल के सभी अकाउंट होते हैं, जिनकी एंट्री जर्नल या सहायक पुस्तीका में होती हैं ।
Classification of Account
Golden Rule of Accounting
Personal Account:- वह खाते (Account) जो किसि व्यक्ति या संस्था (Institution) के नाम से बनाए जाते है, वे Personal Account (व्यक्तिगत खाते) कहलाते है। जैसे- Mohit Rahul, Bank, Abc Company, Capital, Drawing, Gayatri Sales and etc.
Real Account:- वह खाते (Account) जो किसि वस्तु या सम्पत्ति (Property) आदि से सम्बन्धित होते हैं, Real Account (वास्तविक खाते) कहलाते हैं। जैसे- Cash, Computer, Machinery, Furniture, Assets, Building and etc.
Nominal Account:- वह खाते जो लाभ-हानि, आय-व्यय और क्रय-विक्रय से सम्बन्धित होते हैं Nominal Account (नाममात्र के खाते ) कहलाते हैं। जैसे- Interest, Discount, Wages, Purchases, Sales, Profit & Loss, Advertisement, Light Bill and etc.
Rules of Accounting
Personal Account
- Who is receiver ( पाने वाला ) ……………………………………………Debit
- Who is given ( देने वाला ) ………………………………………………….Credit
Examples :-
1. Mr. Gaurav ने Rs. 8,00,000 Cash से Business Start किया.
यहाँ Business को Cash मिल रहा है इसलिए Cash (Real Account) Debit होगा, और Mr. Gaurav के पास से Cash जा रहा है तो Mr. Gaurav (Personal Account) Credit होंगे।
Real Account
- What come in ( आने वाला ) ………………………………………..…….Debit
- What goes it (जाने वाला ) …………………………………….….……….Credit
Examples :-
2. Mr. Gaurav ने Cash में Rs. 20,000 की Computer ख़रीदा.
यहाँ Computer आपके पास आ रहा है इसलिए Computer (Real Account) Debit होगा, और आप के पास से Cash जा रहा है तो Cash (Real Account) Credit होगा।
Nominal Account
- Loss & Expenses ( हानि, खर्चा ) ……………………………….…………Debit
- Profit & Income ( लाभ, आय ) …………………………………………..Credit
Examples :-
3. Mr. Gaurav ने Cash में Rs. 2,000 की Stationery खरीदा.
यहाँ Stationery आपके लिए Expense (व्यय) है इसलिए Stationery (Nominal Account) Debit होगा, और आप के पास से Cash जा रहा है तो Cash (Real Account) Credit होगा।
आशा करता हूँ की इस Article से आपको Accounting के Rules और Terms से जुड़ी जानकारी मिली होगी, अगर आप को Account के बारे में कुछ समझ में आया हो तो अपने दोस्तों के पास जरूर Share करे ताकि उनको भी Tally के बारे में knowledge मिल सके। अधिक जानकारी के लिए हमारे Facebook Page को Follow और Youtube channel को subscribe जरूर करे अगर आप का कोई सवाल हो तो comment box में जरूर बताये।
Thank You !
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